नोएडा में वृद्धाश्रम पर छापा, बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार का खुलासा
अमानवीय स्थिति में रह रहे बुजुर्ग

नोएडा में एक वृद्धाश्रम पर किए गए छापे में अधिकारियों को बुजुर्गों के साथ किए गए अत्यंत अमानवीय और बेरहम व्यवहार का खुलासा हुआ। इस वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को न केवल शारीरिक और मानसिक अत्याचार सहने के लिए मजबूर किया जा रहा था, बल्कि उन्हें बुनियादी मानवाधिकार भी नहीं दिए जा रहे थे। यह छापा नोएडा पुलिस और सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से मारा गया था, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्यों का पता चला।
जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया कि एक बुजुर्ग महिला को कपड़े से बांध कर एक कमरे में बंद किया गया था। इसके अलावा, कई पुरुष निवासियों को अंधेरे और गंदे, बेसमेंट जैसी स्थितियों में बंद करके रखा गया था। बुजुर्गों को ना तो पर्याप्त कपड़े दिए गए थे, और ना ही उन्हें किसी प्रकार की बुनियादी देखभाल दी जा रही थी। महिला निवासियों की स्थिति और भी दयनीय थी, उन्हें बहुत ही प्रतिकूल परिस्थितियों में रखा गया था।
छापे के दौरान अधिकारियों ने पाया कि कई वृद्ध महिलाएं गंदे और सड़े हुए कपड़ों में थीं, जिन्हें पेशाब और मलमूत्र से सना हुआ पाया गया। यह स्थिति देखकर अधिकारियों के रोंगटे खड़े हो गए। बुजुर्गों को खुद अपनी देखभाल करने के लिए मजबूर किया गया था, और उन्हें किसी भी प्रकार की मदद नहीं दी जा रही थी।
raid के दौरान एक महिला, जो खुद को नर्स बताकर बुजुर्गों की देखभाल करने का दावा कर रही थी, को पकड़ा गया। लेकिन जांच में पता चला कि वह केवल 12वीं पास थी और उसके पास किसी प्रकार का कोई चिकित्सा प्रमाणपत्र या आवश्यक प्रशिक्षण नहीं था। यह खुलासा वृद्धाश्रम की प्रबंधन प्रणाली की लापरवाही और धोखाधड़ी को उजागर करता है, जो बुजुर्गों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से लापरवाह थी।
जांच में यह भी सामने आया कि वृद्धाश्रम के भीतर स्वच्छता की स्थिति अत्यधिक खराब थी। निवासियों को गंदे और सड़े हुए बिस्तरों पर सोने के लिए छोड़ दिया गया था, और परिसर में गंदगी फैली हुई थी। बुजुर्गों के लिए भोजन भी अपर्याप्त और पोषक तत्वों से रहित था, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा था। कई बुजुर्गों को साफ-सुथरे कपड़े नहीं मिल रहे थे, और उनके शरीर पर गंदगी के निशान साफ दिखाई दे रहे थे।
बुजुर्गों को न तो समय पर दवाइयां मिल रही थीं, और न ही उन्हें कोई सामाजिक या मानसिक समर्थन प्राप्त था। यह स्थिति उनके जीवन के आखिरी पड़ाव को और भी दुखद बना रही थी।
इस अमानवीय स्थिति का खुलासा होने के बाद नोएडा पुलिस और सामाजिक कल्याण विभाग ने तत्काल कार्रवाई की और वृद्धाश्रम के प्रबंधकों को गिरफ्तार कर लिया। वृद्धाश्रम के मालिक और अन्य जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन और अत्याचार के आरोप लगाए गए हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे इस मामले की गहरी जांच करेंगे और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने का प्रयास करेंगे।
सामाजिक कल्याण विभाग ने यह भी आश्वासन दिया है कि इस घटना के बाद वे वृद्धाश्रमों में अधिक सख्त निरीक्षण और निगरानी की व्यवस्था करेंगे, ताकि इस तरह के अमानवीय व्यवहार को रोका जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में किसी भी वृद्धाश्रम में बुजुर्गों की देखभाल को लेकर कोई भी लापरवाही नहीं बर्दाश्त की जाएगी।
यह घटना न केवल एक सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग – बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ जागरूकता की भी आवश्यकता बताती है। बुजुर्गों की देखभाल और सम्मान हर समाज का एक मूलभूत कर्तव्य है, और इस तरह के अमानवीय व्यवहार को किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।