भारतीय तटरक्षक क्षेत्र कोलकाता में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के तत्वावधान में टेबल टॉप अभ्यास का आयोजन कर रहा है। भारतीय तटरक्षक के अलावा, कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के सदस्य देशों के प्रतिनिधि के तौर पर श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस के साथ-साथ पर्यवेक्षक देशों के रूप में बांग्लादेश और सेशेल्स भी इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं। राष्ट्र विरोधी तत्वों से उत्पन्न खतरों से निपटने, समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया, खोज और बचाव एवं समुद्र में क्षति नियंत्रण जैसी समुद्री क्षेत्र की चुनौतियों से संबंधित विषयों पर चर्चा की जा रही है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन का गठन 2011 में भारत, श्रीलंका और मालदीव के त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा समूह के रूप में किया गया था। गतिविधियों के रोडमैप को बाद में विस्तारित किया गया, जिसमें मॉरीशस चौथे सदस्य के रूप में शामिल हुआ और बांग्लादेश तथा सेशेल्स पर्यवेक्षक देशों के रूप में भाग ले रहे हैं। यह सम्मेलन हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में सभी तटीय देशों से संबंधित क्षेत्रीय सहयोग और साझा सुरक्षा उद्देश्यों को रेखांकित करता है। इसका उद्देश्य क्षेत्र के लिए समुद्री सुरक्षा, समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया और समुद्री खोज तथा बचाव प्राथमिकताएं तय करना है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री पड़ोसियों के बीच समन्वय समुद्री सुरक्षा एवं आईओआर में सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए विकास (सागर) एवं पड़ोसी प्रथम जैसी नीतियां आईओआर के लिए प्रमुख पहल हैं और यह भारत की नीतिगत प्राथमिकताओं की साक्षी हैं। समुद्री चुनौतियों का समाधान करने के लिए आईओआर के समुद्री पड़ोस में एक सहकारी वातावरण और सहयोगी तंत्र आवश्यक है, जिससे समुद्री सुरक्षा और समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इसके अलावा बुधवार को रक्षा मंत्रालय के अधिग्रहण शाखा के अधीन नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में ‘रक्षा उपकरणों की परीक्षण प्रक्रियाओं का सरलीकरण’ पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। सरकार की मेक इन इंडिया सोच के अनुरूप आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने से पहले रक्षा उपकरणों के परीक्षण में शामिल सभी हितधारकों के बीच विचारों का सहज आदान-प्रदान था।
रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने यहां रक्षा उपकरणों के लिए सरलीकृत परीक्षण प्रक्रिया के महत्व को रेखांकित किया। इस कार्यशाला में रक्षा मंत्रालय, तीनों सेवाओं के कई वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग जगत के कई प्रतिष्ठित पेशेवरों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी), डीपीएसयू, डीआरडीओ, विभिन्न मूल्यांकन एजेंसियों जैसे कि डीजीक्यूए, डीजीएक्यूए, सीईएमआईएलएसी व एसीई, एमएचओडब्ल्यू के प्रतिनिधियों ने भी संवादात्मक सत्रों में हिस्सा लिया।