लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद आखिरकार बीजेपी के लिए एक दिल को खुश करने वाली खबर आ ही गई। 2014 के बाद पहली बार NDA को राज्यसभा में बहुमत मिला है मिला है। 2024 लोकसभा चुनावों में बीजेपी पिछली 2 बार की तरह अपने बुते पूर्ण बहुमत पाने में कामयाब नहीं रही। इस बार बीजेपी को सरकार चलाने के लिए चंद्रबाबू नायडू और नितीश कुमार के सहारे की जरुरत है। पिछली दो सरकारों में लोकसभा में पूर्ण बहुमत होने के कारण राज्यसभा में किसी भी बिल को पास करने के लिए बीजेपी को अक्सर जगन मोहन रेड्डी और नवीन पटनायक की तरफ टकटकी बाँध के देखना पड़ता था। पर अब समीकरण बदल गए है, जगनमोहन के राजनैतिक प्रतिद्वंदी चंद्रबाबू नायडू अब मोदी सरकार में शामिल है तो वही ओडिशा में बीजेपी ने दशकों से सत्ता में काबिज नवीन पटनायक को सत्ता से बेदखल कर पहली बार सरकार बनायीं है। लिहाजा अब राज्यसभा में किसी भी बिल को पास कराने में बीजेपी को नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे रहना होगा.
किसी भी मुद्दे पर मतभेद की स्तिथि में संभवतः सरकार को कदम पीछे खींचने पड़ सकते है। हाल ही में नौकरशाही में लैटरल एंट्री के मुद्दे पर सरकार के भीतर असंतोष की स्तिथि बनने पर सरकार को यु-टर्न लेना पड़ा। बीजेपी अपनी संख्या बल के कारण किसी भी स्तिथि में नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को नाराज नहीं करना चाहेगी। लिहाजा 12 सीटों पर हुए इन राज्यसभा चुनावों परिणामों से बीजेपी को थोड़ी बहुत राहत तो मिली होगी। राज्यसभा की 12 सीटों पर हुए उपचुनावों में 11 NDA तो वही 1 सीट इंडि गठबंधन के खाते में गई। NDA को मिली 11 सीटों में 9 बीजेपी के खाते में तो वही अजित पवार वाली एनसीपी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के खाते में 1-1 सीट गई जबकि अभिषेक मनु सिंघवी के रूप में कांग्रेस एकमात्र सीट हासिल करने में कामयाब रही.
खड़गे की नेता विपक्ष की कुर्सी बचा गए सिंघवी
दीपेंद्र हुड्डा और के. सी. वेणुगोपाल के लोकसभा चुनाव जीतने पर राज्यसभा से इस्तीफे के बाद कांग्रेस के राज्यसभा में 26 सदस्य ही रह गए थे। नेता विपक्ष के लिए जरूरी सदस्यों की संख्या 25 है। लिहाजा 1 भी सदस्य के इधर-उधर होने की स्तिथि में मल्लिकार्जुन खड़गे की नेता विपक्ष की कुर्सी खतरे में आ सकती थी। पर अब अभिषेक मनु सिंघवी के राज्यसभा पहुँच जाने से कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 27 हो गई और मल्लिकार्जुन खड़गे की नेता विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित है.