महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: बीजेपी के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का एनसीपी नेता अजीत पवार ने किया विरोध
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की गहमागहमी के बीच, बीजेपी ने अपने चुनाव अभियान को गति देते हुए ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दिया है, जो हिंदू एकता पर बल देता है। हालांकि, बीजेपी के सहयोगी दल एनसीपी के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने इस नारे पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह नारा महाराष्ट्र में कारगर नहीं होगा और चुनावी मुद्दों का केंद्र विकास होना चाहिए, न कि धर्म आधारित नारों का प्रचार।
बीजेपी ने अपने चुनावी अभियान के दौरान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का उपयोग करना शुरू किया है। पार्टी के अनुसार, यह नारा राज्य में हिंदू एकता को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है और यह संदेश देता है कि एकता में ही शक्ति है। बीजेपी नेताओं का मानना है कि इस नारे से सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को मजबूती मिलेगी और राज्य में एक सशक्त हिंदू वोटबैंक तैयार होगा।एनसीपी नेता अजीत पवार ने इस नारे का खुलकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोग धर्म के आधार पर नहीं बल्कि विकास और प्रगति के आधार पर अपने नेताओं का चयन करते हैं। पवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “महाराष्ट्र की जनता को बांटने वाली बातों से कोई लाभ नहीं होगा। हम विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।”
अजीत पवार ने जोर देकर कहा कि राज्य के सामने कई चुनौतियां हैं और इनसे निपटने के लिए राजनीति में एकता की आवश्यकता है, लेकिन वह एकता समाज और राज्य के विकास के लिए होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि कैसे महाराष्ट्र को एक प्रगतिशील राज्य बनाया जाए, न कि धार्मिक और साम्प्रदायिक आधार पर लोगों को विभाजित किया जाए।”बीजेपी के इस नारे पर अजीत पवार के विरोध के बाद, महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है। राज्य में अन्य विपक्षी दलों ने भी इस नारे की आलोचना की है और कहा है कि चुनावी मुद्दों को धर्म और जाति से ऊपर उठकर विकास और लोगों की समस्याओं पर आधारित होना चाहिए।