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तेलंगाना बना अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण लागू करने वाला पहला राज्य, सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम

नई आरक्षण प्रणाली की शुरुआत

तेलंगाना ने देश का पहला ऐसा राज्य बनकर इतिहास रच दिया है जिसने अनुसूचित जातियों (SC) का आधिकारिक रूप से वर्गीकरण कर दिया है। यह ऐतिहासिक फैसला डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को घोषित किया गया, जिससे राज्य में सामाजिक न्याय को और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।

तेलंगाना सरकार ने यह निर्णय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस शमीम अख्तर की अध्यक्षता में गठित एक विशेष आयोग की सिफारिशों के आधार पर लिया। आयोग ने राज्य की 59 मान्यता प्राप्त अनुसूचित जातियों को तीन समूहों — समूह I, II और III में वर्गीकृत किया है। इसका उद्देश्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले 15% आरक्षण का समान और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है।

राज्य के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस नई प्रणाली की शुरुआत की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह फैसला SC वर्गीकरण पर गठित कैबिनेट उपसमिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है और यह उस वादे को पूरा करता है जिसे पहले की सरकारें निभाने में असफल रहीं।

मंत्री ने बताया कि सरकार का यह कदम वर्षों से चली आ रही मांगों को स्वीकार करता है और इससे कमजोर वर्गों को उनके अधिकार प्राप्त करने में मदद मिलेगी। प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने इस निर्णय का आधिकारिक सरकारी आदेश मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को सौंपा।मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि उनकी सरकार सभी वर्गों के लोगों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय बाबा साहब अंबेडकर के सपनों को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है।

इस फैसले की सामाजिक संगठनों और राजनीतिक विशेषज्ञों ने व्यापक सराहना की है। इसे अनुसूचित जातियों के भीतर व्याप्त असमानताओं को दूर करने की दिशा में एक व्यवस्थित और न्यायपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

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