
अब बैंक और सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए एक नई व्यवस्था लाई गई है। केंद्र सरकार ने IBPS (इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनेल सिलेक्शन) को अब आधार कार्ड के जरिए कैंडिडेट्स की पहचान करने की मंज़ूरी दे दी है। इसका मतलब ये है कि अब जिन स्टूडेंट्स की बैंक परीक्षाएं होती हैं, उनकी पहचान “आधार आधारित ई‑केवाईसी” या “Yes/No” तरीके से भी हो सकेगी। इस फैसले के पीछे सरकार की मंशा साफ है – परीक्षा में नकल, फर्जीवाड़ा और पहचान की चोरी जैसे मामलों को रोकना। हर साल लाखों युवा ये परीक्षाएं देते हैं, लेकिन कई बार कुछ लोग फर्जी दस्तावेजों के सहारे परीक्षा देते हैं और असली मेहनत करने वालों का हक मारा जाता है। अब आधार से सीधे पहचान जुड़ने पर यह खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा।
ये जरूरी है कि लोग समझें – ये प्रक्रिया वैकल्पिक (optional) है। मतलब अगर कोई उम्मीदवार चाहे तो आधार के ज़रिए पहचान करा सकता है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं है। जिनके पास आधार है और जो इसे इस्तेमाल करना चाहते हैं, उन्हें ज्यादा आसान और तेज़ प्रोसेस मिलेगी। जो नहीं चाहते, उनके लिए पुराना तरीका भी मौजूद रहेगा। सरकार का मानना है कि इस फैसले से परीक्षा प्रक्रिया और ज्यादा पारदर्शी होगी। साथ ही IBPS जैसी एजेंसियों का काम भी आसान होगा – उन्हें हर बार कैंडिडेट के पहचान पत्र की मैनुअल जांच नहीं करनी पड़ेगी।
इससे पहले SSC (स्टाफ सेलेक्शन कमीशन) में भी आधार से पहचान की पुष्टि का फैसला लिया गया था। अब IBPS में भी इसे लागू करने से परीक्षा की व्यवस्था ज्यादा भरोसेमंद और डिजिटल हो जाएगी। युवाओं के लिए ये एक पॉजिटिव कदम है, खासकर उनके लिए जो मेहनत से तैयारी करते हैं और चाहते हैं कि हर कोई बराबरी से, बिना किसी धोखाधड़ी के परीक्षा दे। अब भविष्य में उम्मीद की जा सकती है कि बाकी सरकारी संस्थाएं भी ऐसी तकनीक अपनाएंगी जिससे परीक्षा प्रणाली और मजबूत हो।