
तेलंगाना के विकाराबाद जिले के एक सरकारी स्कूल में विज्ञान शिक्षण के नाम पर किए गए असंवेदनशील कृत्य ने विवाद खड़ा कर दिया है। जिला परिषद हाई स्कूल (बालिका) यालाल मंडल, तंदूर विधानसभा क्षेत्र में कार्यरत एक विज्ञान शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है। शिक्षक पर आरोप है कि उन्होंने कक्षा में मानव मस्तिष्क की संरचना दिखाने के लिए कथित तौर पर गाय का मस्तिष्क लाकर छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया।इस घटना के बाद छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी देखी गई, और शिक्षा विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की।
सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को कक्षा 10 की एक विज्ञान कक्षा में शिक्षक ख़सीम बी. ने एक डिब्बे में कथित रूप से गाय का मस्तिष्क लाकर छात्रों को दिखाया। उनका उद्देश्य यह था कि छात्र मानव मस्तिष्क की आकृति और संरचना को करीब से समझ सकें। लेकिन इस प्रयोग ने कई छात्रों को असहज कर दिया। कुछ छात्राओं ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि उन्हें इससे घबराहट और मानसिक असुविधा हुई।
शिक्षक पर यह भी आरोप है कि उन्होंने न केवल मस्तिष्क का प्रदर्शन किया, बल्कि उसके साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं और उन्हें विद्यालय के व्हाट्सएप समूह में साझा किया। छात्रों की आपत्ति के बावजूद शिक्षक ने कथित तौर पर उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया।
इस घटना की जानकारी जब अभिभावकों तक पहुंची, तो उन्होंने विद्यालय प्रशासन और स्थानीय शिक्षा अधिकारियों से शिकायत की। मामला शिक्षा विभाग तक पहुंचा, जिसके बाद तेलंगाना शिक्षा विभाग ने तत्परता दिखाते हुए शिक्षक ख़सीम बी. को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “शिक्षा का उद्देश्य छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना है, न कि उन्हें भयभीत करना या असहज परिस्थितियों में डालना। शिक्षक का यह कदम अनुशासन और संवेदनशीलता दोनों का उल्लंघन है।”
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विज्ञान शिक्षा के नाम पर छात्रों को मानसिक रूप से परेशान करने वाले प्रयोग स्वीकार्य हैं। शिक्षाविदों का मानना है कि विद्यालयों में पढ़ाई के दौरान प्रयोग अवश्य होने चाहिए, लेकिन उनकी प्रकृति शिक्षण के साथ-साथ नैतिक और मानसिक रूप से भी स्वीकार्य होनी चाहिए।
तंदूर क्षेत्र में इस घटना को लेकर हलचल मची रही। कुछ स्थानीय संगठनों ने इसे “गंभीर शिक्षण त्रुटि” बताया, जबकि अन्य ने इसे “शिक्षक की लापरवाही और असंवेदनशीलता” करार दिया। कुछ ने पशु अंगों का शैक्षणिक उपयोग करने की नैतिकता पर भी प्रश्न उठाए।
तेलंगाना के विकाराबाद में हुई इस घटना ने विज्ञान शिक्षा और शिक्षकों की जिम्मेदारियों को लेकर एक जरूरी बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा देना जरूरी है, वहीं दूसरी ओर यह सुनिश्चित करना भी उतना ही आवश्यक है कि कोई भी तरीका उनके मानसिक स्वास्थ्य, आस्थाओं या संवेदनशीलता को ठेस न पहुंचाए।