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प्रग्गनानंधा बने भारत के नंबर-1 शतरंज खिलाड़ी, लाइव रैंकिंग में हासिल की ऐतिहासिक उपलब्धि

भारत के शतरंज इतिहास में नया अध्याय

भारत के युवा ग्रैंडमास्टर आर. प्रग्गनानंधा ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम कर ली है। 19 वर्षीय प्रग्गनानंधा ने उज़बेकिस्तान के नोडिरबेक अब्दुसत्तारोव को हराकर भारत के नंबर-1 शतरंज खिलाड़ी बनने का गौरव प्राप्त किया है। यह जीत उन्हें UzChess Cup Masters टूर्नामेंट के अंतिम राउंड में ब्लैक पीसेस के साथ मिली।

इस शानदार जीत के साथ प्रग्गनानंधा की लाइव रेटिंग बढ़कर 2778.3 हो गई है, जिससे उन्होंने अपने हमवतन और मौजूदा विश्व चैंपियन डी. गुकेश को पीछे छोड़ दिया है, जिनकी लाइव रेटिंग 2776.6 है।प्रग्गनानंधा अब भारत के नंबर-1 रेटेड खिलाड़ी बन चुके हैं। इसके साथ ही वे विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर पहुंच गए हैं, जो उनके करियर की अब तक की सबसे ऊंची रैंकिंग है। उन्होंने लाइव रेटिंग में तीन स्थान की छलांग लगाते हुए यह मुकाम हासिल किया।

प्रग्गनानंधा की यह उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत तौर पर गर्व की बात है, बल्कि यह भारत के शतरंज इतिहास में भी एक नया अध्याय जोड़ती है। अभी तक विश्व स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व विश्वनाथन आनंद, पेंटाला हरिकृष्णा, विदित गुजराती और हाल ही में डी. गुकेश जैसे खिलाड़ियों ने किया, लेकिन अब प्रग्गनानंधा ने भी खुद को इस सूची में सबसे ऊपर स्थापित कर लिया है।

2024 में डी. गुकेश ने जब विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रचा था, तब वे भारत के पहले वर्ल्ड चैंपियन बने थे और भारत के नंबर-1 रेटेड खिलाड़ी बन गए थे। लेकिन अब प्रग्गनानंधा ने उन्हें पीछे छोड़ दिया है, और यह भारतीय शतरंज में नई प्रतिस्पर्धा को भी दर्शाता है।गौरतलब है कि दोनों खिलाड़ी बेहद कम उम्र में विश्व मंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं और अब उनकी आपसी रैंकिंग की होड़ भारतीय शतरंज को और भी ऊंचाई देने वाली है।

UzChess Cup Masters में प्रग्गनानंधा का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा। खासकर अंतिम दौर में ब्लैक पीसेस से खेलते हुए उन्होंने जिस तरह से अब्दुसत्तारोव को मात दी, वह उनके मच्योर खेल और गहरी रणनीतिक समझ का प्रमाण है।अंतरराष्ट्रीय मंच पर वे पहले ही मैग्नस कार्लसन, हिकारू नाकामुरा और फैबियानो कारुआना जैसे शीर्ष खिलाड़ियों को चुनौती दे चुके हैं। अब उनका विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर पहुंचना इस बात का संकेत है कि वे जल्द ही विश्व चैंपियन बनने की दौड़ में शामिल हो सकते हैं।

प्रग्गनानंधा की इस सफलता के पीछे उनके कोच आर. बी. रमेश और उनके परिवार का विशेष योगदान रहा है। उनकी बहन वैशाली भी एक अंतरराष्ट्रीय महिला मास्टर हैं और दोनों भाई-बहन भारतीय शतरंज को नई ऊंचाईयों पर ले जा रहे हैं।उनके माता-पिता ने बचपन से ही प्रग्गनानंधा को शतरंज के प्रति प्रेरित किया और कठिन परिस्थितियों के बावजूद हर स्तर पर साथ दिया। आज उनकी मेहनत का फल पूरे देश को गर्वित कर रहा है।

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