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भारत रत्न के लिए दलाई लामा के समर्थन में तेज़ हुई मुहिम, 80 से अधिक सांसदों ने दिया समर्थन

सांसदों का तर्क – यह भारत की नैतिक जिम्मेदारी

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु 14वें दलाई लामा को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग को एक बार फिर नया बल मिला है। धर्मशाला में 6 जुलाई को दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस के अवसर पर हुए भव्य समारोह के बाद यह मांग और तेज़ हो गई है।

अब तक देशभर के 80 से अधिक सांसद इस पहल का समर्थन कर चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।इस अभियान की अगुवाई ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर तिब्बत (APIPFT) कर रहा है, जिसमें भाजपा, कांग्रेस, बीजेडी, जेडीयू सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद शामिल हैं।

सांसद भर्तृहरि महताब (बीजेडी) और सुजीत कुमार (बीजेडी) इस पहल के प्रमुख चेहरों के रूप में सामने आए हैं। दोनों वरिष्ठ सांसद इस प्रयास को व्यापक बनाने और 100 सांसदों के हस्ताक्षर जुटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को औपचारिक याचिका सौंपने की योजना बना रहे हैं।

1959 में चीन से निर्वासन के बाद दलाई लामा भारत में शरण लिए हुए हैं, और तब से वे धर्मशाला को अपना निवास स्थान बनाए हुए हैं। भारत ने न केवल उन्हें शरण दी, बल्कि तिब्बती शरणार्थियों को सुरक्षा, शिक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण भी प्रदान किया है।दलाई लामा ने हमेशा अहिंसा, करुणा, और वैश्विक शांति का संदेश दिया है और उन्हें दुनिया भर में एक शांति-दूत के रूप में सम्मानित किया जाता है।

अभियान से जुड़े सांसदों का कहना है कि दलाई लामा न केवल एक आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि उन्होंने भारत और तिब्बत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करने में भी अहम भूमिका निभाई है।

सांसद सुजीत कुमार ने कहा:“दलाई लामा भारत की धरती पर रहते हुए मानवता, आध्यात्मिकता और अहिंसा के प्रतीक बन चुके हैं। उन्हें भारत रत्न देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।”

भारत में बसे तिब्बती समुदाय और उनके समर्थकों के बीच इस मुहिम को लेकर उत्साह और आशा का माहौल है। धर्मशाला और अन्य तिब्बती बस्तियों में भारत रत्न के लिए दलाई लामा के नाम की चर्चा तेज़ हो गई है।

एक तिब्बती नागरिक ने कहा:”दलाई लामा न केवल हमारे आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि उन्होंने भारतीय मूल्यों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया है। यह सम्मान उनके साथ-साथ भारत के भी गौरव को बढ़ाएगा।”

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