भारत-अमेरिका के बीच सीमित व्यापार समझौता तय, जल्द हो सकता है औपचारिक ऐलान
अमेरिका ने भेजे थे 14 देशों को पत्र, भारत बना प्राथमिक साझेदार

भारत और अमेरिका के बीच एक सीमित व्यापार समझौता (Mini Trade Deal) आखिरकार तय हो गया है। यह समझौता कई हफ्तों की गहन बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों के बाद संभव हो पाया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने जानकारी दी है कि दोनों देशों के बीच अब इस समझौते के ड्राफ्ट का आदान-प्रदान हो चुका है और जल्द ही इसका औपचारिक ऐलान भी हो सकता है।
इस घटनाक्रम को भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में एक अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब हाल के वर्षों में कुछ विवादित मुद्दों के चलते द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में तनाव बना हुआ था।
सीएनबीसी-आवाज़ की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने हाल ही में 14 देशों को व्यापार वार्ता के लिए पत्र भेजे थे, जिनमें भारत के साथ हुई बातचीत सबसे सफल और निर्णायक मानी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों पक्षों ने प्रस्तावित व्यापार समझौते का मसौदा साझा किया है और इसमें बड़ी बाधाएं अब शेष नहीं हैं।
भारतीय पक्ष ने इस दौरान अपने प्रमुख हितों और मांगों पर कड़ा रुख बनाए रखा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:
“हम अमेरिका की शर्तें मानने के लिए किसी दबाव में नहीं थे। हमने यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर अमेरिका अपनी स्थिति पर अड़ा रहता, तो हम टैरिफ (शुल्क) का असर झेलने के लिए तैयार थे। लेकिन वॉशिंगटन ने बातचीत की इच्छा दिखाई, जिससे इस समझौते को आगे बढ़ाना संभव हो पाया।”
हालांकि समझौते का विस्तृत विवरण अभी सामने नहीं आया है, लेकिन जानकारों के अनुसार इस ‘मिनी ट्रेड डील’ में कृषि, चिकित्सा उपकरण, सूचना प्रौद्योगिकी, वस्त्र निर्यात और कुछ औद्योगिक उत्पादों पर शुल्क छूट और आयात-निर्यात में सहूलियत जैसे प्रावधान शामिल हो सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता दोनों देशों को आर्थिक रूप से लाभ देगा और भविष्य में व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में भी रास्ता खोल सकता है।
यह समझौता भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों को व्यापारिक स्तर पर नई मजबूती देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच पिछले एक वर्ष में हुई कई द्विपक्षीय बैठकों में आर्थिक सहयोग को प्राथमिकता दी गई थी, और यह समझौता उसी प्रयास का प्रतिफल है।
सूत्रों की मानें तो दोनों देश आज रात तक इस समझौते का औपचारिक रूप से संयुक्त ऐलान कर सकते हैं। यह ऐलान न केवल व्यापार जगत के लिए उत्साहजनक होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर यह संकेत भी देगा कि भारत और अमेरिका आर्थिक सहयोग के मामले में फिर से नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहे हैं।