रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को वर्चुअल माध्यम से पूर्वी लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड की आधारशिला रखी, जिसे 200 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा।रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने एक बयान में कहा, “इस हवाई क्षेत्र को लगभग 200 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। यह लद्दाख में हवाई बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देगा और उत्तरी सीमा पर भारतीय वायुसेना की क्षमता को बढ़ाएगा।“
मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री ने विश्वास जताया कि यह हवाई क्षेत्र, जो दुनिया के सबसे ऊंचे हवाईअड्डों में से एक होगा, सशस्त्र बलों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा।
इसमें कहा गया कि पश्चिम बंगाल में पुनर्निर्मित बागडोगरा और बैरकपुर हवाई क्षेत्र मंगलवार को राष्ट्र को समर्पित किए गए।
मंत्रालयने कहा, “500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पुनर्निर्मित ये हवाई क्षेत्र न केवल भारतीय वायुसेना की तैयारियों को बढ़ाएंगे, बल्कि क्षेत्र में वाणिज्यिक उड़ान संचालन की सुविधा भी देंगे।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली 2,900 करोड़ रुपये से अधिक की सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इनमें अरुणाचल प्रदेश में नेचिपु सुरंग शामिल है; पश्चिम बंगाल में दो हवाई क्षेत्र; दो हेलीपैड; 22 सड़कें और 63 पुल। इन 90 परियोजनाओं में से 36 अरुणाचल प्रदेश में हैं, 26 लद्दाख में, जम्मू-कश्मीर में 11, मिजोरम में पांच, हिमाचल प्रदेश में तीन, सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में दो-दो और नगालैंड, राजस्थान और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक-एक।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री द्वारा उद्घाटन की गई एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारदुआर-तवांग रोड पर 500 मीटर लंबी नेचिफू सुरंग थी।
“यह सुरंग, निर्माणाधीन सेला सुरंग के साथ रणनीतिक तवांग क्षेत्र को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह क्षेत्र में तैनात सशस्त्र बलों और तवांग आने वाले पर्यटकों के लिए फायदेमंद होगा।“
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि राजनाथ सिंह ने अक्टूबर 2020 में सुरंग की आधारशिला रखी थी।
–आईएएनएस