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गुजारा भत्ता हर शादीशुदा महिला का हक़, गृहणी को मिले बराबर का दर्जा- सुप्रीम कोर्ट

देश की सर्वोच्च अदालत ने बुधबार को दिए एक फैसले में कहा कि सीआरपीसी की धारा -125 के अंतर्गत सभी शादीशुदा महिलाएं गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  भारतीय पुरुष महिलाओं के त्याग और भूमिका को समझें। कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता दान नहीं है यह हर शादीशुदा महिला का हक़ है और सभी महिलाएं सीआरपीसी की धारा -125 के अंतर्गत इसकी हकदार है चाहे वो किसी भी धर्म से सम्बन्ध रखती हों। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला तेलंगाना के अब्दुल समद की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया है, जिसमें याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने अब्दुल समद को उसकी तलाकशुदा पत्नी को 10 हजार रूपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. 

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 धार्मिक सीमाओं से परे है और सभी शादीशुदा महिलाओं के लिए आर्थिक सुरक्षा के सिद्दांत को मजबूती प्रदान करती है। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि पतियों के लिए जरूरी है कि वे अपनी पत्नियों की आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से जॉइंट बैंक अकाउंट और एटीएम साझा करने जैसे व्यावहारिक तरीके अपना सकते हैं.

जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस जॉर्ज मसीह की बेंच ने तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश को चुचुनौती  देने वाली अब्दुल समद की याचिका ख़ारिज कर दी।  समद ने दलील दी थी कि एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा -125 के अंतर्गत गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है। अदालत को मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 के प्रावधानों को लागु करना होगा। सर्वोच्च अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता के वकील की दलीलें सुनने के बाद 19 फ़रवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता के वकील वसीम कादरी ने दलील दी थी की सीआरपीसी की धारा 125 के मुकाबले 1986 का कानून मुस्लिम महिलाओं के लिए अधिक फायदेमंद है.

अदालत के फैसले पर जहाँ कुछ मुस्लिम संगठनों ने असहमति व्यक्त की है तो वही राष्ट्रिय महिला आयोग और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने इसका स्वागत किया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्य सभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने फैसले की सराहना करते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के  सर्वोच्च अदालत के फैसले को पलटने वाला राजीव गाँधी सरकार का फैसला संविधान के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक था.

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