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ELSS : टैक्स सेविंग और वेल्थ क्रिएशन का बेहतरीन विकल्प

स्मार्ट निवेशक वह होता है जो टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश करते समय उसमे मिलने वाली रिटर्न के बारे  ध्यान दे। आसमान छूती महंगाई के दौर में परम्परागत बचत योजनाओं में पैसे फ़साने की वजाय बेहतर रिटर्न वाले निवेश स्कीम में पैसे लगाना ज्यादा अक्लमंदी की बात होगी। और ऐसे ही एक इन्वेस्टमेंट एवेन्यू है ELSS यानि की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम

वैसे तो टैक्स सेविंग पुरे साल एक्सरसाइज होती है और लोग अक्सर ऐसी योजनाओं की तलाश में रहते हैं जहाँ रिटर्न के साथ- टैक्स छूट भी मिल जाये। बाजार में टैक्स सेविंग के अनेक विकल्प मौजूद हैं जैसे कि एफडी, जीवन बीमा, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, पीपीएफ इत्यादि। पर इन तमाम विकल्पों पर मिलने वाली रिटर्न 6-8 फ़ीसदी के बीच ही होती है और अगर इक्विटी लिंक्ड स्कीम से तुलना की जाये तो यह बहुत कम है। इसलिए एक स्मार्ट निवेशक बनकर परम्परागत निवेश विकल्पों की वजाय ELSS में निवेश काफी आकर्षक रहता है और पिछले कुछ सालों में निवेशकों का ELSS में बढ़ता निवेश इस बात की तस्दीक भी करता है.

ELSS यानि की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में निवेशक SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) या फिर एकमुश्त निवेश का विकल्प चुन सकते हैं। पूरे साल SIP के जरिये निवेश करने से टैक्स बचने के लिए आखिरी मिनट की हड़बड़ी से बचा जा सकता है। SIP के जरिये निवेश करने से एवरेजिंग का फायदा मिलता है और समय के साथ निवेशक को बेहतर रिस्क अडजस्टेड रिटर्न भी.

ELSS टैक्स सेविंग म्यूच्यूअल फण्ड होता है जिसमे निवेश का बड़ा हिस्सा इक्विटी योजनाओं में लगाया जाता है तो वही कुछ हिस्सा फिक्स्ड इनकम में भी होता है जिसके जरिये निवेशक का पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड हो जाता है। ELSS में निवेश की गयी राशि (अधिकतम राशि 150000) पर इनकम टैक्स की धारा 80C के अंतर्गत टैक्स छूट भी ली जा सकती है.

ELSS में किये गए निवेश पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है, लेकिन एक वित्त वर्ष में एक लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता.

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