देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुवाई में बनी कमेटी की सिफारिशों को कैबिनेट से मंजूरी मिल गयी। इसे देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है। कमेटी की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों जबकि दूसरे चरण में आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर पंचायत और नगर निकायों के चुनाव कराये जाएं। फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा कि ‘सिफारिशों को आगे बढाने के लिए एक कार्यान्वन ग्रुप बनाया जायेगा। देश भर में इस पर चर्चा की जायेगी। बड़ी संख्या में दलों ने एकसाथ चुनाव कराने समर्थन किया है। हम अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे’।
शीतकालीन सत्र में बिल लाने को लेकर पूछे गए सवाल का जबाव देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव कहा कि गृह मंत्री का कहना है कि सरकार इसे इसी कार्यकाल में लागू करेगी। परामर्श प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार विधेयक का मसौदा तैयार करेगी। कैबिनेट के सामने रखने के बाद सरकार संसद में बिल लायेगी।
PM नरेंद्र मोदी ने सरकार के फैसले पर कहा ‘यह हमारे लोकतंत्र को और भी अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है’.
बीजेपी और NDA गठबंधन में शामिल दलों ने एक राष्ट्र एक चुनाव का समर्थन किया है जबकि विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए इसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने प्रयास बताया है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और बीजेपी नेता सुमित्रा महाजन ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ चुनाव कराने का विचार अच्छा है। सरकार में शामिल JDU के प्रवक्ता राजीव रंजन ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए कहा कि बार-बार चुनाव करने से सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विचार से असहमति जताते हुए कहा कि एकसाथ चुनाव करना व्यावहारिक नहीं है। बीजेपी चुनाव के वक्त ऐसी बातों से असल मुद्दों से ध्यान भटकाती है। AIMIM के अध्यक्ष अस्सुदद्दीन ओवैसी ने कहा कि ऐसी सोच संघवाद और लोकतंत्र से समझौता करती है तो वही आम आदमी पार्टी ने भी एक राष्ट्र एक चुनाव का विरोध किया.