रावण की पूजा: भारतीय संस्कृति और परंपराओं की विविधता का प्रतीक
विजयादशमी (दशहरा) के पर्व पर भारत में रावण का पुतला दहन एक प्राचीन और व्यापक परंपरा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन भगवान राम द्वारा रावण का वध कर विजय प्राप्त करने की कहानी को पूरे देश में मनाया जाता है। हालांकि, भारत में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां रावण की पूजा की जाती है और उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है। इन स्थानों पर रावण को विद्वान, महान राजा और शिवभक्त के रूप में देखा जाता है। आइए जानें उन स्थानों के बारे में जहां रावण की पूजा की जाती है।
मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर में रावण को ‘दामाद’ के रूप में पूजा जाता है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, रावण की पत्नी मंदोदरी इसी क्षेत्र की थीं। इसलिए, यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं और दशहरे के दिन रावण का पुतला जलाने के बजाय, उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मंदसौर में रावण की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है, जहां लोग हर साल विजयादशमी पर उनकी पूजा करते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं।
कर्नाटक के कोलार जिले में भी रावण की पूजा होती है। यहां के लोग रावण को एक बुद्धिमान और महान राजा मानते हैं। दशहरे के दिन यहां भगवान राम और रावण, दोनों की पूजा की जाती है। इस क्षेत्र में रावण को एक शिव भक्त के रूप में पूजा जाता है, और यहां के लोग उनकी विद्वत्ता और तपस्या को आदर देते हैं।
राजस्थान के जोधपुर में भी कुछ स्थानों पर रावण की पूजा होती है। यहां के लोगों का मानना है कि रावण एक महान योद्धा और विद्वान था, और उसने भगवान शिव की तपस्या कर कई शक्तियां अर्जित की थीं। यहां के ब्राह्मण समाज के कुछ वर्ग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और दशहरे के दिन उनकी पूजा करते हैं।
वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, में कुछ क्षेत्रों में रावण की पूजा की जाती है। यहां के विद्वानों का मानना है कि रावण एक महान तांत्रिक और विद्वान था, जिसने शिव की उपासना की थी। इसलिए, कुछ स्थानों पर दशहरे के अवसर पर रावण को जलाने की बजाय उनकी विद्वत्ता और तपस्या का सम्मान किया जाता है।
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में भी रावण को आदर दिया जाता है। यहां के लोग उन्हें एक महान शिवभक्त और बुद्धिमान राजा मानते हैं। दशहरे के दिन लोग रावण की पूजा करते हैं और उनकी कथाओं का स्मरण करते हैं, जिनमें उनकी तपस्या और विद्वत्ता का उल्लेख होता है।
भारत के इन विभिन्न स्थानों पर रावण की पूजा दर्शाती है कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं विविधता से भरी हुई हैं। जहां एक ओर रावण को बुराई के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, वहीं दूसरी ओर कुछ स्थानों पर उन्हें एक विद्वान, महान राजा और शिवभक्त के रूप में सम्मानित किया जाता है। रावण की पूजा भारत की समृद्ध संस्कृति और विभिन्न मान्यताओं का प्रतीक है, जो हर समुदाय की आस्था और विश्वास को दर्शाती है।