कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू, पांच साल बाद निकला पहला जत्था
पांच साल बाद फिर शुरू हुई पवित्र यात्रा, नाथुला दर्रे से पहले जत्थे ने की मानसरोवर के लिए रवाना

श्रद्धालुओं के लम्बे समय से चल रही प्रतीक्षा को ख़तम कर पांच साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हो गई है। आज सिक्किम के नाथुला पास से पहले जत्थे को रवाना किया गया, जिसमें 33 श्रद्धालु, 2 आईटीबीपी अधिकारी और 1 डॉक्टर शामिल हैं। इस समूह को राज्यपाल ओम माथुर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
कोविड-19 महामारी और भारत-चीन के बीच सीमा तनाव की वजह से 2020 से यह यात्रा रोक दी गई थी। अब हालात सामान्य होने के बाद भारत और चीन के अधिकारियों ने मिलकर इस यात्रा को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया। इस बार यह यात्रा भारत के नाथुला रूट से हो रही है, जो पहले रास्ते की तुलना में ज़्यादा आसान और सुरक्षित माना जाता है।
श्रद्धालु सबसे पहले सिखिम में 18 माइल और शेराथांग में ऊंचाई के अनुसार शरीर ढालने की प्रक्रिया से गुजरेंगे। इसके बाद वे नाथुला पास के रास्ते चीन के तिब्बत क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। वहां इमीग्रेशन औपचारिकताओं के बाद सभी को डर्खेन बेस कैंप पहुंचाया जाएगा और फिर पैदल यात्रा करते हुए यमद्वार, डोलमा ला पास और अंत में मानसरोवर झील तक ले जायेंगे। यात्रा की पूरी अवधि करीब 11 से 12 दिन तक की होगी।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि यह पल सिर्फ श्रद्धा से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह भारत-चीन सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक भी है। सिक्किम के पर्यटन मंत्री ने कहा कि इस यात्रा से स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलेगा और राज्य की पहचान भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी। यात्रियों ने यात्रा की व्यवस्थाओं की तारीफ की। एक यात्री शालंदा शर्मा ने कहा, “मेडिकल सुविधा, खानपान और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है।” वहीं, इंदर शर्मा नामक यात्री ने इसे अपने “जीवन का सबसे पवित्र अनुभव” बताया।