
प्रयागराज में आयोजित महा कुंभ मेला 2025 का पहला ‘अमृत स्नान’ मकर संक्रांति के पावन अवसर पर संपन्न हुआ। इस विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य स्नान कर आत्मशुद्धि और मोक्ष की कामना की। यह महा कुंभ का पहला प्रमुख स्नान है, जिससे महीनेभर चलने वाले इस धार्मिक समागम की आधिकारिक शुरुआत हुई।
माना जाता है कि कुंभ में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है। इसी विश्वास के साथ लाखों श्रद्धालु भोर से ही संगम के जल में आस्था की डुबकी लगाने उमड़ पड़े।सुबह होते ही संगम तट हर-हर गंगे और जय गंगा मैया के नारों से गूंज उठा। देशभर से आए साधु-संतों, अखाड़ों के नागा संन्यासियों और लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र स्नान कर ईश्वर से जीवन में शांति, समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना की।
मकर संक्रांति के इस स्नान के साथ महा कुंभ 2025 की धार्मिक यात्रा का औपचारिक आरंभ हो गया। अगले कुछ हफ्तों तक विभिन्न शाही स्नान और धार्मिक अनुष्ठान होते रहेंगे, जिनमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु भाग लेंगे।श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात की कड़ी व्यवस्थाएं की हैं। स्नान घाटों पर विशेष सुरक्षा बल, मेडिकल टीम और वॉलंटियर्स की तैनाती की गई है ताकि कुंभ का यह पवित्र आयोजन सुगम और सुरक्षित तरीके से पूरा हो सके।
महा कुंभ में केवल स्नान ही नहीं, बल्कि देशभर से आए संत-महात्माओं के प्रवचन, सत्संग और धार्मिक अनुष्ठान भी हो रहे हैं, जिनमें लाखों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।महा कुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और सनातन परंपरा का भव्य प्रदर्शन है। यह मेला आस्था, श्रद्धा और आत्मशुद्धि का महासंगम है, जहां हर भक्त स्वयं को धर्म और संस्कृति से जोड़ने का प्रयास करता है।