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पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने आगरा के फतेहपुर सीकरी का किया दौरा

परिवार के साथ ऐतिहासिक धरोहर का अनुभव

पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रविवार को उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित ऐतिहासिक फतेहपुर सीकरी का दौरा किया। इस दौरे में उन्होंने अपने परिवार के साथ इस विश्व धरोहर स्थल की सुंदरता का अनुभव किया। ऋषि सुनक इस ऐतिहासिक स्थल पर अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति, सासु माँ सुधा मूर्ति, और अपनी बेटियाँ अनुष्का एवं कृष्णा के साथ मौजूद थे।

फतेहपुर सीकरी, जो मुगल स्थापत्य कला की अनमोल धरोहर है, पर ऋषि सुनक और उनके परिवार ने अद्वितीय अनुभव साझा किया। स्थल की प्राचीन दीवारें, भव्य इमारतें और समृद्ध इतिहास ने सभी का मन मोह लिया। परिवार के सदस्यों ने साइट के प्रमुख स्थलों का भ्रमण किया और इस ऐतिहासिक धरोहर के महत्व को निहारते हुए कई तस्वीरें भी खींचीं।

ऋषि सुनक ने बताया कि फतेहपुर सीकरी का दौरा उनके परिवार के लिए एक खास अनुभव रहा। उन्होंने कहा, “यह स्थल न केवल इतिहास का गवाह है, बल्कि हमारे परिवार के साथ बिताए गए इन यादगार पलों को और भी खास बना देता है।” अक्षता मूर्ति, सुधा मूर्ति, अनुष्का और कृष्णा ने भी इस यात्रा के दौरान अपने अनुभव साझा किए, जिससे यह दिन और भी यादगार बन गया।

स्थल पर उपस्थित कई दर्शकों और आगंतुकों ने ऋषि सुनक और उनके परिवार का गर्मजोशी से स्वागत किया। ऋषि सुनक ने भी एक समूह उत्साही लोगों को देखकर हाथ हिलाया और उनका अभिवादन किया। इस मुलाकात से पता चलता है कि फतेहपुर सीकरी की ऐतिहासिक महत्ता और इसकी लोकप्रियता न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक है।

इस यात्रा की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। कई लोगों ने ऋषि सुनक के इस कदम की सराहना की और कहा कि यह यात्रा उनके परिवार के साथ बिताए गए मधुर पलों का प्रतीक है। आगरा के इतिहास और संस्कृति के प्रति उनकी गहरी रुचि ने उन्हें इस अद्वितीय स्थल का दौरा करने के लिए प्रेरित किया।

पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का फतेहपुर सीकरी का यह दौरा न केवल एक ऐतिहासिक स्थल की सैर का प्रतीक है, बल्कि उनके परिवार के साथ बिताए गए यादगार पलों का भी साक्ष्य है। इस यात्रा ने साबित कर दिया कि चाहे राजनीति या इतिहास हो, परिवार के साथ बिताया गया हर पल अनमोल होता है। आगरा के इस प्रतिष्ठित स्थल ने सभी को भारतीय सांस्कृतिक विरासत की महत्ता का एहसास दिलाया और ऋषि सुनक के इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की समृद्ध धरोहर का गौरव भी बढ़ाया है।

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