
दिल्ली सरकार ने फीस वृद्धि को लेकर बढ़ती शिकायतों के बाद बुधवार को 600 से अधिक निजी स्कूलों की जांच की, जिसके बाद 11 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस (शो-कॉज नोटिस) जारी किया गया है।
सरकारी बयान के अनुसार, दिल्ली सरकार ने जिला स्तर पर समितियों का गठन किया है, जिनकी अध्यक्षता संबंधित उप-जिलाधिकारी (SDM) कर रहे हैं। इन समितियों में शिक्षा के उप-निदेशक, लेखा अधिकारी और सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्य भी शामिल हैं। इन टीमों को उन निजी स्कूलों का ऑडिट करने का निर्देश दिया गया है जिनके खिलाफ शिकायतें मिली हैं।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने पूर्व आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे स्कूलों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा, “आप के पास कार्रवाई करने का विकल्प था, लेकिन वे दिल्ली की जनता के संसाधनों का उपयोग अन्य राज्यों के चुनावों में कर रहे थे। हमारी सरकार ने जनता को राहत देने का संकल्प लिया है।”
मंत्री सूद ने जानकारी दी कि एक सवालों की सूची तैयार की गई है, जिसमें 18 प्रश्न शामिल हैं। जिन स्कूलों के खिलाफ शिकायतें दर्ज हुई हैं, उन्हें इन सवालों के जवाब देने होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि शिकायतें दर्ज करने के लिए एक ईमेल आईडी जारी की गई है।
उन्होंने कहा, “शिकायतों के आधार पर संबंधित स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगले 10 दिनों में, रेखा गुप्ता सरकार उन स्कूलों के नाम सार्वजनिक करेगी जिन्होंने अनुचित रूप से फीस बढ़ाई है।”
सूद ने यह भी बताया कि दिल्ली में कुल 1677 निजी स्कूल हैं, जिनमें से 355 स्कूल सरकारी जमीन पर संचालित हो रहे हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को चुनौती देते हुए कहा, “अगर उनके पास कोई सबूत है तो वह पुलिस स्टेशन जाकर FIR दर्ज कराएं। जांच से सामने आ जाएगा कि किसने रिश्वत ली है।”
शिक्षा मंत्री ने कहा, “स्कूल शिक्षा के मंदिर हैं, लेकिन एक निजी स्कूल को 15 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करते हुए पकड़ा गया है। AAP सरकार ने स्कूलों को कम से कम 15 प्रतिशत फीस बढ़ाने की अनुमति दी थी।”दिल्ली सरकार की इस पहल को अभिभावकों के हित में एक अहम कदम माना जा रहा है। अब देखना होगा कि आगे किन स्कूलों पर कार्रवाई की जाती है और फीस वृद्धि पर सरकार की नीति किस दिशा में जाती है।