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ऑपरेशन सिंदूर पर पहली बार महिला अधिकारियों ने संभाली सैन्य ब्रीफिंग, इतिहास रचा

पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर भारत की सटीक कार्रवाई

भारतीय सेना के लिए आज का दिन ऐतिहासिक बन गया जब विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने पहली बार किसी सैन्य अभियान पर मीडिया को ब्रीफ किया। यह अवसर ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ा था — वह अभियान जो भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए शुरू किया है।

दोनों महिला अधिकारियों की मौजूदगी न केवल सेना में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनी, बल्कि यह उन शहीद परिवारों, विशेष रूप से महिलाओं, के प्रति एक संवेदनात्मक और सशक्त संकेत भी था, जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में अपने पतियों और परिवारजनों को खोया।

विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ब्रीफिंग के दौरान कहा, “ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक और हर शहीद परिवार को समर्पित एक उत्तर है।” वहीं कर्नल सोफिया कुरैशी ने इसे “सटीक रणनीतिक कदम और राष्ट्रीय एकता की मिसाल” बताया।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिनके बारे में खुफिया एजेंसियों को पुख्ता जानकारी थी कि वे भारत में हमलों की साजिश रच रहे थे।

इस मीडिया ब्रीफिंग का सबसे खास पक्ष यह था कि पहली बार दो महिला अधिकारी किसी सक्रिय सैन्य कार्रवाई के बारे में सार्वजनिक रूप से जानकारी साझा कर रही थीं — एक ऐसा दृश्य जो आज तक भारतीय सैन्य इतिहास में दर्ज नहीं हुआ था।

इस कदम को प्रतीकात्मक और प्रगतिशील दोनों माना जा रहा है। महिला अधिकारी न केवल सीमाओं पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं, बल्कि अब रणनीतिक संवाद और सैन्य नेतृत्व के मंच पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारतीय सेना के भीतर लिंग समानता और समावेशिता की दिशा में बड़ा कदम है। वहीं सोशल मीडिया पर भी इन दोनों अधिकारियों की ब्रीफिंग की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं, और देश भर से प्रशंसा और समर्थन मिल रहा है।

इस मौके पर रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि, “यह एक नया युग है, जहां महिलाएं न केवल पीड़ा झेल रही हैं, बल्कि नेतृत्व कर रही हैं—जवाब दे रही हैं, और आगे बढ़ रही हैं।”इस ब्रीफिंग ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब भारत की प्रतिक्रिया केवल ताकत का प्रदर्शन नहीं, बल्कि सांकेतिक और सशक्तिकरण से परिपूर्ण जवाब है — जहां महिलाएं शोक में ही नहीं, बल्कि प्रतिरोध और नेतृत्व में भी सबसे आगे हैं।

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