पर्यावरणराज्य

असम और मेघालय में भारी बारिश को लेकर गृह मंत्रालय ने जारी किया ‘रेड अलर्ट’

भारी बारिश और तूफान का खतरा

देश के पूर्वोत्तर राज्यों में मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए गृह मंत्रालय (MHA) ने मंगलवार को असम और मेघालय के लिए ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है। यह चेतावनी अगले दो दिनों (बुधवार और गुरुवार) के लिए प्रभावी रहेगी। इस दौरान बेहद भारी बारिश, गर्जन के साथ आंधी-तूफान और आकाशीय बिजली गिरने की आशंका जताई गई है।

मंत्रालय ने यह भी बताया कि शुक्रवार को स्थिति थोड़ी सामान्य हो सकती है, लेकिन अभी भी ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी रहेगा, जो दर्शाता है कि खराब मौसम की स्थिति बनी रह सकती है।

मौसम विभाग और गृह मंत्रालय की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, असम और मेघालय के कई जिलों में मूसलधार बारिश, तेज हवाएं (40-60 किमी/घंटा) और वज्रपात होने की आशंका है। यह मौसम परिवर्तन राज्य के निचले इलाकों में जलभराव, भूस्खलन, और बिजली से जुड़े हादसों का कारण बन सकता है।

मौसम विभाग के अनुसार, यह प्रणाली बंगाल की खाड़ी में बन रहे निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण विकसित हो रही है, जो पूर्वोत्तर राज्यों की ओर तेजी से बढ़ रही है।

गृह मंत्रालय ने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे आपदा प्रबंधन टीमों को सक्रिय स्थिति में रखें, विशेष रूप से असम के बारपेटा, दरांग, नगांव, डिब्रूगढ़, गोलाघाट और मेघालय के वेस्ट खासी हिल्स, ईस्ट गारो हिल्स जैसे संवेदनशील जिलों में।

कुछ जिलों में भारी बारिश की चेतावनी को देखते हुए प्रशासन स्कूल और कॉलेजों को अस्थायी रूप से बंद करने पर भी विचार कर रहा है। विशेष रूप से उन इलाकों में जहां पहले से ही जलभराव और सड़कें खराब हैं।राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमों को पहले ही तैनात कर दिया गया है। राहत शिविरों और मेडिकल टीमों को भी तैयार रखा गया है ताकि ज़रूरत पड़ने पर त्वरित सहायता दी जा सके।

गौरतलब है कि असम और मेघालय में मानसून के दौरान अक्सर बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं सामने आती रही हैं। वर्ष 2022 और 2023 में भी इन राज्यों में मूसलधार बारिश के कारण जन-धन की भारी हानि हुई थी। सरकार इन अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार पूर्व तैयारी पर विशेष ध्यान दे रही है।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी यह ‘रेड अलर्ट’ साफ तौर पर संकेत है कि आने वाले दो दिन सावधानी और सतर्कता से बिताने की ज़रूरत है। स्थानीय प्रशासन और नागरिकों को मिलकर इस चुनौती से निपटना होगा। समय पर तैयारी और उचित सूचना प्रणाली ही इस प्राकृतिक आपदा को मानवीय त्रासदी में बदलने से रोक सकती है।

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