प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के नालंदा जिले के राजगीर स्थित अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया।
नालंदा पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने सबसे पहले प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष देखा और उसके इतिहास की पूरी जानकारी ली।
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास, शिक्षा के प्रति भारतीय दृष्टिकोण और इसकी समृद्धि को दर्शाता है। इसका महत्व न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए अनमोल धरोहर के रूप में है।
नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का एक प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र था। लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार बिहार पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी राजगीर स्थित अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे और नए परिसर का उद्घाटन किया।
इस मौके पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विदेश मंत्री जयशंकर, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद थे।
राजगीर के अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस में कुल 24 बड़ी इमारतें हैं। परिसर में 40 कक्षाओं वाले दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं, जिनकी कुल बैठने की क्षमता लगभग 1900 है। इसमें 300 सीटों की क्षमता वाले दो सभागार हैं। इसमें लगभग 550 छात्रों की क्षमता वाला एक छात्र छात्रावास है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, 2000 व्यक्तियों तक की क्षमता वाला एम्फीथिएटर, फैकल्टी क्लब और खेल परिसर सहित कई अन्य सुविधाएं भी हैं।
यह परिसर एक ‘नेट जीरो’ ग्रीन कैंपस है। यह सौर संयंत्र, घरेलू और पेयजल शोधन संयंत्र, अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग के लिए जल पुनर्चक्रण संयंत्र, 100 एकड़ जल निकाय और कई अन्य पर्यावरण अनुकूल सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर रूप से कार्य करता है।
प्रधानमंत्री ने इससे पहले एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “यह हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत खास दिन है। आज सुबह करीब 10:30 बजे राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया जाएगा। नालंदा का हमारे गौरवशाली अतीत से गहरा नाता है। यह विश्वविद्यालय निश्चित रूप से युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।”
इससे पहले वे गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचे जहां केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने उनका स्वागत किया।