अरुणाचल में बुनियादी ढांचे को लेकर सेना की बड़ी पहल: ‘हाइड्रो पावर दशक’ का ऐलान
सीमाओं की सुरक्षा के साथ विकास का वादा

अरुणाचल प्रदेश में बुनियादी ढांचे को लेकर एक अहम पहल सामने आई है। भारतीय सेना की स्पियर कॉर्प्स ने हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की जिसमें बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइज़ेशन (BRO), एनएचआईडीसीएल, टीएचडीसी, एसजेवीएन और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था राज्य के दूरदराज़ और सीमावर्ती इलाकों में सड़क संपर्क को बेहतर बनाना और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को तेज़ी से पूरा करना।
बैठक में सबसे अहम फैसला यह लिया गया कि साल 2025 से 2035 तक के समय को ‘हाइड्रो पावर दशक’ के रूप में देखा जाएगा। इस दौरान देशभर में 58,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। अनुमान है कि इन परियोजनाओं में करीब दो लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिससे 2035 से हर साल लगभग 4,525 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। सभी संबंधित एजेंसियों ने इस बात पर सहमति जताई कि काम में देरी नहीं होनी चाहिए और मिलकर एक समन्वित व तेज़ कार्यशैली अपनाई जाएगी, ताकि न सिर्फ राज्य का विकास हो, बल्कि देश की सीमाओं की सुरक्षा भी और मजबूत हो सके।
पिछले कुछ सालों में अरुणाचल प्रदेश की तस्वीर धीरे-धीरे बदलती जा रही है। जो इलाका कभी दुर्गम और कटे-फटे रास्तों के लिए जाना जाता था, वहां अब पक्की सड़कों का जाल बिछ रहा है। साल 2016 तक जहां राज्य में लगभग 30 हजार किलोमीटर सड़कें थीं, आज वो बढ़कर 50 हजार किलोमीटर से भी ज़्यादा हो चुकी हैं। मतलब अब वहां पहुंचना आसान होता जा रहा है , न सिर्फ आम लोगों के लिए, बल्कि सेना और ज़रूरत के समय राहत पहुंचाने वालों के लिए भी। सिर्फ सड़कों की बात नहीं है। बिजली के मोर्चे पर भी अरुणाचल ने लंबी छलांग लगाई है। कुछ ही साल पहले तक जहां पूरे राज्य की उत्पादन क्षमता 400 मेगावॉट के आस-पास थी, अब यह 1,200 से भी ऊपर पहुंच चुकी है। यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि अब यह इलाका देश को रौशन करने की दिशा में खुद को तैयार कर रहा है।
स्पियर कॉर्प्स की यह पहल सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की योजना नहीं है, बल्कि यह उस बड़े सोच का हिस्सा है, जिसमें देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के साथ-साथ सीमावर्ती इलाकों में स्थायी विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। सेना और प्रशासन का यह संयुक्त प्रयास भविष्य की दिशा तय करने में एक मजबूत कदम माना जा सकता है।