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भारत-चीन में दुर्लभ खनिजों को लेकर रणनीतिक वार्ता जारी

रेयर अर्थ मिनरल्स की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत का चीन से उच्च स्तरीय संपर्क बनाने का फैसला

भारत और चीन के बीच दुर्लभ खनिजों यानी रेयर अर्थ मिनरल्स की आपूर्ति को लेकर उच्च स्तरीय व्यापारिक और कूटनीतिक बातचीत जारी है। यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब चीन ने हाल ही में इन खनिजों और उनसे निर्मित चुम्बकों के निर्यात पर विशेष लाइसेंस की अनिवार्यता लागू कर दी है।

रेयर अर्थ मिनरल्स वे तत्व हैं जिनका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल उपकरणों, रक्षा तकनीक और अन्य उच्च तकनीकी उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। भारत इन खनिजों के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर है। चीन द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों से भारत के विनिर्माण क्षेत्र विशेषकर ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में संभावित आपूर्ति संकट को लेकर चिंता व्यक्त की गई है।

सरकार इस समय पूरी चौकसी के साथ हालात पर नजर बनाए हुए है। वाणिज्य मंत्रालय ने देश की उन बड़ी ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को सीधे सहयोग देना शुरू कर दिया है जो इन खनिजों के लिए चीन से कच्चा माल मंगवाती हैं। मंत्रालय की कोशिश यही है कि कंपनियों को चीन की सप्लाई करने वाली इकाइयों से बातचीत में कोई दिक्कत न हो। उधर, विदेश मंत्रालय भी बीजिंग से लगातार संपर्क में है ताकि कहीं कोई गलतफहमी या बाधा खड़ी न हो। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल की परिस्थितियों को एक सीधा संकेत बताया है।

उनका कहना है कि अब समय आ गया है जब भारत को केवल एक देश पर भरोसा करने की आदत से बाहर निकलना होगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सरकार अब उन दूसरे रास्तों की तलाश कर रही है जहां से भारत को जरूरी खनिज समय पर और भरोसे के साथ मिल सकें। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि देश के अंदर ही इन खनिजों के उत्पादन और प्रोसेसिंग को कैसे बढ़ावा दिया जाए।

कुल मिलाकर भारत अब दो मोर्चों पर काम कर रहा है। एक ओर वह यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि फिलहाल खनिजों की सप्लाई जारी रहे, और दूसरी ओर वह दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता की दिशा में भी ठोस कदम उठा रहा है। सरकार की यही मंशा है कि देश का तकनीकी विकास, इंडस्ट्री की गति और लोगों की ज़रूरतें किसी भी वैश्विक फैसले या विदेशी नीति पर पूरी तरह टिकी न रहें।

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