
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी वायनाड की सीट से इस्तीफा देंगे और रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। कोंग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी। राहुल के इस्तीफ़ा देने पर केरल की वायनाड सीट से उनकी बहन प्रियंका वाड्रा चुनाव लड़ेंगी। वायनाड सीट से इस्तीफ़ा देने के फैसले को राहुल गाँधी ने मुश्किल भरा फैसला बताया तो वही कहा कि ‘मैं उम्र भर वायनाड के लोगों के प्यार के लिए शुक्रगुज़ार रहूँगा’। वही वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले पवार प्रियंका वाड्रा ने कहा ‘वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले से वो काफी खुश हैं और वायनाड के लोगों को राहुल की कमी महसूस नहीं होने दूंगी’.
लोकसभा चुनाव में राहुल गाँधी रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों पर जीतने में कामयाब रहे और अब उन्होंने रायबरेली से सांसद बने रहने का फैसला किया है। इसी के साथ प्रियंका गाँधी वाड्रा के पोलिटिकल डेब्यू का लम्बा इंतज़ार अब ख़त्म होता दिखाई दे रहा है। दरसल प्रियंका पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस में महासचिव के पद के साथ-साथ स्टार प्रचारक का काम कर रही थी और खासतौर पर महिलाओं के साथ संपर्क साधकर पार्टी के लिए महिला वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही थी। हालाँकि 2022 में प्रियंका को उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी मिली थी लेकिन तब वह पार्टी के लिए कुछ खास करने में असफल रही थी.
परिवारवाद का आरोप
कांग्रेस में गांधी परिवार से होना ही अपने आप में एक क्वालिफिकेशन मानी जाती है ऐसे में वायनाड से उम्मीदवारी प्रियंका के लिए बिल्कुल कठिन नहीं रही होगी। राहुल गाँधी जिस तरह अनुभव न होने बावजूद कांग्रेस के सर्वमान्य नेता है तो वही प्रियंका बगैर राजनैतिक अनुभव पार्टी की बड़ी नेता हैं। कांग्रेस में पार्टी और सरकार के शीर्ष पदों पर गाँधी- नेहरू परिवार का एकाधिकार सिध्द है और शायद योग्यता, अनुभव,पार्टी लिए योगदान को दरकिनार करते हुए एक परिवार से होना ही सबसे बड़ी योग्यता मानी जाती है। बेहतर होता यदि राहुल के इस्तीफे के बाद कोई कांग्रेस कार्यकर्त्ता वायनाड से चुनाव लड़ता और इस तरह परिवारवाद के लगने वाले आरोप से भी कांग्रेस बच जाती और लोकतंत्र बचाने की उसकी दलील खोखली नजर नहीं आती.