कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ख़त्म करने की मांग से जुडी याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट जनहित याचिका की तरह सुनवाई करेगा। अदालत ने कहा कि स्वामी की याचिका को जनहित याचिका माना जाना चाहिए। सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत में दाखिल याचिका में राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग पर गृह मंत्रालय को निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को अदालत ने स्वामी से पूछा कि इस तरह के मामले में उनका कानूनी रूप से स्वीकार्य अधिकार क्या है। जस्टिस नरूला ने कहा कि यदि कोई अधिकार है तो उसे केवल जनहित माना जा सकता है। इस पर सुब्रमण्यम स्वामी ने खुद अदालत में पेश होते हुए कहा कि यदि इस याचिका पर जनहित याचिका की तरह सुनवाई होनी चाहिए, तो यह अदालत का अधिकार है कि वह इस याचिका को जनहित याचिका की सुनवाई करने वाली पीठ के पास भेज दे। स्वामी की ओर से यह भी कहा गया कि यह मामला भारत सरकार से जुड़ा हुआ है और पूर्व में उनकी ओर से भेजी गई शिकायत गृह मंत्रालय में स्वीकार कर ली गयी थी.
स्वामी ने अपनी याचिका में न्यायलय से गृह मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की, कि उनके द्वारा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाप दायर अभ्यावेदन पर स्थिति रिपोर्ट पेश करे। दायर याचिका ने कहा गया है कि 6 अगस्त 2019 को सुब्रमण्यम स्वामी ने गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखा था। जिसमे उन्होंने मंत्रालय को बताया कि राहुल गांधी ने ब्रिटिश सरकार को बताया है कि वह ब्रिटिश नागरिक हैं। स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि राहुल गांधी ने भारतीय नागरिकता अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 9 का उल्लंघन किया है। स्वामी का कहना है कि उन्होंने अपनी शिकायत की स्टेटस रिपोर्ट के लिए कई बार मंत्रालय को पत्र लिखा पर ना तो उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई की गई है और ना ही उन्हें कोई सुचना मिली.