सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी चुनाव में उपराज्यपाल वीके सक्सेना के हस्तक्षेप पर जताई नाराजगी
दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना पर एमसीडी स्थायी समिति के चुनाव में अधिकारों के उपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। मामला उस समय चर्चा में आया जब दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है और एमसीडी स्थायी समिति के छठे सदस्य के चुनाव में हस्तक्षेप किया है।
मेयर शैली ओबेरॉय की याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने एमसीडी के चुनाव में गैरकानूनी ढंग से दखल दिया और अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह चुनाव एमसीडी की स्वायत्तता का उल्लंघन है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर आघात है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस पर सुनवाई के लिए दो हफ्ते का समय निर्धारित किया है।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के स्थायी समिति के चुनाव में छठे सदस्य के चयन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। मेयर शैली ओबेरॉय ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के हस्तक्षेप पर सवाल उठाए हैं, जिनका कहना है कि उपराज्यपाल ने चुनावी प्रक्रिया में अनावश्यक दखल दिया है।
स्थायी समिति एमसीडी की एक महत्वपूर्ण इकाई है, जो नगर निगम के विभिन्न नीतिगत और प्रशासनिक कार्यों की देखरेख करती है। ऐसे में इसके सदस्यों का चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष होना जरूरी है। मेयर ओबेरॉय का कहना है कि चुनाव में छठे सदस्य के चयन को लेकर कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और उपराज्यपाल ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है और उपराज्यपाल के अधिकारों और उनकी सीमाओं को लेकर सवाल उठाए हैं। कोर्ट का कहना है कि उपराज्यपाल के पास सीमित अधिकार हैं और वह दिल्ली सरकार और एमसीडी के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उपराज्यपाल को अपने संवैधानिक दायरे में रहकर काम करना चाहिए और इस तरह के मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप से बचना चाहिए।
इस मामले में दो हफ्तों के भीतर सुनवाई की जाएगी, जहां सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि उपराज्यपाल का हस्तक्षेप संवैधानिक है या नहीं। साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि एमसीडी की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान किया जा रहा है या नहीं।