ओमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली: छह साल बाद केंद्र शासित प्रदेश में पहली सरकार का गठन
नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता ओमर अब्दुल्ला ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिससे छह साल के अंतराल के बाद केंद्र शासित प्रदेश में पहली सरकार का गठन हुआ। अब्दुल्ला के नेतृत्व में बनी इस सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह प्रदेश में स्थिरता और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाएगी, खासकर उस समय जब जम्मू-कश्मीर राजनीतिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है।
जम्मू-कश्मीर में छह साल से केंद्र सरकार के नियंत्रण के तहत राज्यपाल शासन लागू था। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित किए जाने के बाद से यहां कोई चुनी हुई सरकार नहीं थी। इस लंबे अंतराल के बाद हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बहुमत हासिल किया, जिसके बाद ओमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया।यह शपथ ग्रहण समारोह श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (SKICC) में आयोजित किया गया, जहां राज्यपाल और अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों की उपस्थिति में ओमर अब्दुल्ला ने पद और गोपनीयता की शपथ ली।
ओमर अब्दुल्ला के लिए यह मुख्यमंत्री पद की तीसरी पारी है। इससे पहले, उन्होंने 2009 से 2015 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था। अपने पहले दोनों कार्यकालों में, उन्होंने विकास, सुरक्षा, और शांति को प्राथमिकता दी थी। उनके नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की गईं, जो प्रदेश की जनता के लिए लाभकारी सिद्ध हुईं।इस बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब्दुल्ला ने कहा, “यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समय है। हमें प्रदेश की जनता के विश्वास को बनाए रखना है और उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना है। हमारी सरकार सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास, शांति, और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करने, पर्यटन को बढ़ावा देने, और कृषि सुधारों पर विशेष ध्यान देगी।
ओमर अब्दुल्ला की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश में स्थिरता और शांति की बहाली होगी। पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा की समस्याओं ने जनता के जीवन को प्रभावित किया है। नई सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह इन चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएगी और प्रदेश में लंबे समय से चल रहे मुद्दों का समाधान करेगी।जम्मू-कश्मीर के लोग नई सरकार से काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। लंबे समय से राज्य में विकास और बुनियादी ढांचे की कमी महसूस की जा रही थी। ओमर अब्दुल्ला की सरकार के गठन से जनता को उम्मीद है कि प्रदेश में न केवल राजनीतिक स्थिरता लौटेगी, बल्कि आर्थिक और सामाजिक सुधार भी तेज गति से होंगे।