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रूस ने गूगल पर लगाया $2.5 डेसिलियन का जुर्माना, यूट्यूब पर 17 रूसी टीवी चैनल बहाल न करने पर भारी कार्रवाई

रूस ने गूगल पर $2.5 डेसिलियन (2.5 डेसिलियन डॉलर) का अभूतपूर्व जुर्माना लगाया है, जो पृथ्वी पर मौजूद कुल संपत्ति से भी अधिक है। यह जुर्माना गूगल की विफलता के कारण लगाया गया, जिसमें उसने यूट्यूब पर 17 रूसी टीवी चैनलों को पुनर्स्थापित करने से इनकार कर दिया था। रूसी अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई रूस की संप्रभुता और सूचना स्वतंत्रता की रक्षा के लिए की गई है।

पिछले कुछ वर्षों में रूस और गूगल के बीच टकराव बढ़ता गया है। रूस की सरकारी एजेंसियों ने गूगल और यूट्यूब पर आरोप लगाया कि वे रूसी मीडिया पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और रूस के बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं। रूस का दावा है कि ये 17 चैनल सरकारी और आधिकारिक चैनल हैं, जो देश के नागरिकों को समाचार और जानकारी प्रदान करते हैं। इन चैनलों पर प्रतिबंध लगाने से रूस का मानना है कि गूगल ने उनकी संप्रभुता का उल्लंघन किया है।

$2.5 डेसिलियन का यह जुर्माना न केवल गूगल के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक चौंकाने वाला कदम है। डेसिलियन एक ऐसी राशि है, जो पृथ्वी पर मौजूद कुल संपत्ति से भी अधिक है। इस भारी जुर्माने का उद्देश्य गूगल को रूस के आदेशों का पालन करने के लिए मजबूर करना है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह जुर्माना प्रतीकात्मक हो सकता है, जो गूगल पर दबाव बनाने का प्रयास है।

गूगल ने इस फैसले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह जुर्माना गूगल के लिए आर्थिक रूप से अकल्पनीय है, और इसे एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर चुनौती दी जा सकती है। गूगल का कहना है कि उसके प्लेटफार्म पर सामग्री हटाने और पुनर्स्थापित करने के लिए उसकी अपनी नीतियां हैं, जिनका पालन वह करता है, और इन नीतियों का उल्लंघन करने से उसके प्लेटफार्म की अखंडता पर असर पड़ेगा।

रूस ने हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी पर कड़ा रुख अपनाया है। उसका मानना है कि गूगल, फेसबुक और अन्य अंतरराष्ट्रीय टेक कंपनियों द्वारा रूसी मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन हैं। इस नीति के तहत, रूस ने कई बार विदेशी टेक कंपनियों पर आर्थिक दंड लगाए हैं और उनकी सेवाओं पर विभिन्न प्रकार की पाबंदियाँ लगाई हैं।यह जुर्माना वैश्विक स्तर पर एक नई बहस को जन्म दे सकता है। तकनीकी दिग्गजों और देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण यह मामला गंभीर बन सकता है, जिससे अन्य देशों के बीच भी विचार-विमर्श और कठोर नीतियों का प्रस्ताव उठ सकता है।

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