भारत के पूर्व विदेश मंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सोमानहल्ली मल्लैया कृष्णा (एस.एम. कृष्णा) का मंगलवार को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार थे।एस.एम. कृष्णा का भारतीय राजनीति में एक अहम योगदान रहा। उनका जन्म 1 मई 1932 को हुआ था। वे 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे और उनकी सरकार को कर्नाटक में बुनियादी ढांचे और आईटी विकास को बढ़ावा देने के लिए याद किया जाता है।
कृष्णा ने 2009 से 2012 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने देश की विदेश नीति को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में भारत और अन्य देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई मिली।कर्नाटक की राजनीति में एस.एम. कृष्णा एक प्रमुख चेहरा थे। वे राज्य में आधुनिक विकास के प्रतीक माने जाते थे। उनके कार्यकाल के दौरान, बेंगलुरु को देश के आईटी हब के रूप में उभरने में मदद मिली। उन्होंने अपने नेतृत्व से राज्य में औद्योगिकीकरण और निवेश को बढ़ावा दिया।
कृष्णा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से की और लंबे समय तक पार्टी के लिए काम किया। 2017 में, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया। उनका यह कदम राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा का विषय रहा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, “एस.एम. कृष्णा जी का जीवन सेवा, प्रशासन और जनता के प्रति समर्पण का प्रतीक था। उनके निधन से देश ने एक कुशल नेता खो दिया है।”कांग्रेस ने अपने संदेश में कहा, “एस.एम. कृष्णा का योगदान कर्नाटक और भारत की राजनीति में अमूल्य है। उनका दूरदर्शी नेतृत्व हमेशा याद रखा जाएगा।”कृष्णा के निधन की खबर से उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां बेंगलुरु में की जा रही हैं। राज्य सरकार ने उनके सम्मान में एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।