बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत की अवमानना के मामले में 6 महीने की जेल
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 6 महीने की जेल

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने अदालत की अवमानना के एक मामले में छह महीने की जेल की सजा सुनाई है। यह फैसला न्यायमूर्ति एम.डी. गोलाम मुर्तुज़ा मोजुमदार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया। इस मामले में अवामी लीग की छात्र इकाई से जुड़े राजनीतिक कार्यकर्ता शकिल अकंद बुलबुल को भी दो महीने की जेल की सजा दी गई है।
यह फैसला बांग्लादेश की अस्थिर राजनीतिक स्थिति में एक नया मोड़ लेकर आया है। अदालत की कार्यवाही में यह कहा गया कि शेख हसीना ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जो एक सार्वजनिक ऑडियो रिकॉर्डिंग के ज़रिए सामने आई। इस ऑडियो में उन्हें कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि उनके खिलाफ 227 मुकदमे दर्ज हैं, इसलिए उनके पास “227 लोगों को मारने का लाइसेंस” है। इस बयान को अदालत ने गंभीर मानते हुए न्यायिक प्रक्रिया की अवमानना करार दिया।
दोषसिद्धि के दौरान शेख हसीना और शकिल अकंद दोनों अदालत में मौजूद नहीं थे, इसलिए यह फैसला अनुपस्थिति में सुनाया गया। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सजा तब लागू होगी जब दोनों आरोपी स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करेंगे या उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
शेख हसीना, जो 2024 के आम चुनावों के बाद से देश से बाहर हैं, कथित तौर पर भारत में रह रही हैं। उनके खिलाफ पहले भी अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों से संबंधित मामलों में जांच चल रही है। अब अदालत की अवमानना का यह फैसला उनकी कानूनी और राजनीतिक चुनौतियों को और गहरा करता है।
अवामी लीग और उनके समर्थकों ने इस फैसले की आलोचना की है और इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” करार दिया है। उनका कहना है कि वर्तमान अंतरिम सरकार, जो नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के समर्थन से चल रही है, विपक्ष को कमजोर करने के लिए न्यायपालिका का इस्तेमाल कर रही है। दूसरी ओर, अंतरिम प्रशासन का कहना है कि यह कदम न्याय व्यवस्था को मजबूत करने और कानून के शासन को लागू करने की दिशा में लिया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति में निर्णायक मोड़ हो सकता है। एक ओर जहां यह न्यायिक स्वतंत्रता की ओर बढ़ा कदम माना जा सकता है, वहीं दूसरी ओर यह शेख हसीना जैसे प्रभावशाली नेता के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। इसके साथ ही, यह मामला भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी असर डाल सकता है, खासकर अगर बांग्लादेश सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करती है।