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बिना आरक्षण नौकरशाही में ENTRY पर तीन दिन में ही EXIT

केंद्र  लैटरल एंट्री के जरिये 45 स्पेशलिस्ट की नियुक्ति का फैसले को वापस ले लिया है। केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभाग) डॉ. जीतेन्द्र सिंह ने UPSC के चैयरमेन को इस सन्दर्भ में एक पत्र लिखा है। UPSC ने ही लैटरल एंट्री से 45 स्पेशलिस्ट अधिकारियों के नियुक्ति के सन्दर्भ में विज्ञापन जारी किया था जिसे अब रद्द कर दिया गया है। 17 अगस्त को UPSC ने अलग-अलग मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी पदों पर 45 स्पेशलिस्ट अधिकारियों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। जिसे लेकर विवाद हो गया था और अंततः केंद्र सरकार की एक पहल राजनीती की भेंट चढ़ गयी.

विपक्षी पार्टियों में जहां कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बसपा ने इसका विरोध किया तो वही सरकार में शामिल JDU और LJP ने भी इसे एसटी, एससी और ओबीसी विरोधी बताकर बिना आरक्षण सीधे भर्ती पर सवाल उठाये। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा UPSC चैयरमेन  को लिखे पत्र में लिखा है, ‘ प्रधानमंत्री का मानना है कि लैटरल एंट्री की प्रक्रिया हमारे संविधान निहित समानता और सामाजिक न्याय के आदर्शों पर आधारित होनी चाहिए। सरकारी नौकरी में आरक्षण हमारे सामाजिक न्याय ढांचे की आधारशिला है’.

विपक्ष ने बताया अपनी जीत

फैसले पर सरकार के ‘यू-टर्न’ को विपक्ष ने अपनी जीत बताया है। विपक्ष ने दावा किया है कि सरकार को विपक्ष के दबाव के कारन झुकना पड़ा और लैटरल एंट्री के विज्ञापन को निरस्त करना पड़ा। सरकार में शामिल जीतन राम मांझी और चिराग पासवान ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा ‘संविधान जयते। हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमजोर वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने आरक्षण छीनने के बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेरा है। लैटरल एंट्री पर मोदी सरकार की चिट्ठी दर्शाती है की तानाशाही सत्ता अहंकार को संविधान हरा सकती है’.

एक तरफ जहां कांग्रेस लैटरल एंट्री का विरोध कर रही है तो वही कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने इसे अच्छा कदम बताय था। सरकार की तरफ से भी केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने भी कांग्रेस के समय हुई नियुक्तियों का उदहारण देकर बताया की लैटरल एंट्री की शुरुवात कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही हुई थी। बहरहाल अब इस योजना को रद्द कर दिया गया है और UPSC चैयरमेन को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने का आदेश भी सरकार की तरफ से दिया गया है.

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