अदालतव्यक्ति विशेष

संजिव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायधीश के रूप में ली शपथ

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में भारत के 51वें मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ ली। उन्हें यह पद न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद सौंपा गया। शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति खन्ना को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर भारत के कानून मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायधीश और उच्च न्यायालयों के न्यायधीश भी उपस्थित थे।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का न्यायिक करियर काफी समृद्ध रहा है। उन्होंने 1995 में दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की और 2006 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायधीश नियुक्त किया गया। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति खन्ना ने कई महत्वपूर्ण मामलों में अपने फैसले सुनाए हैं और वे अपने तर्कसंगत और निष्पक्ष न्याय के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके शपथ ग्रहण के साथ ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि वे भारतीय न्यायपालिका को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के पदभार संभालने से पहले, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने भारतीय न्यायपालिका में कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता, नागरिक अधिकारों और महिला समानता से जुड़े कई अहम मामलों में फैसले दिए। उनकी अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण मामलों में नये दृष्टिकोण प्रस्तुत किए थे। उनके कार्यकाल के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कई संवैधानिक मामलों में अहम निर्णय दिए, जिनमें आरक्षण, हेट स्पीच और असहमति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दे शामिल थे।

न्यायमूर्ति खन्ना के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियां होंगी। सबसे पहले, उन्हें न्यायपालिका की भीड़भाड़ को कम करने और कोर्ट में लंबित मामलों के समाधान के लिए रणनीति बनाने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, डिजिटल न्यायपालिका की दिशा में प्रगति और अदालतों के मामलों को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम उठाना भी उनके लिए एक महत्वपूर्ण कार्य होगा।

शपथ ग्रहण समारोह में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के प्रति अपने समर्पण का वादा किया। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य न्याय दिलाना है, और यह हम सभी के लिए एक श्रद्धा का विषय है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक को न्याय मिले, और हम संविधान की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।”

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