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कुंभकोणम मंदिर से चोरी हुई तिरुमंगई अलवार की कांस्य मूर्ति होगी भारत वापस

तमिलनाडु के कुंभकोणम में स्थित साउंडरराजा पेरुमल मंदिर से दशकों पहले चोरी हुई संत-कवि तिरुमंगई अलवार की बहुमूल्य कांस्य मूर्ति अब अपने मूल स्थान पर लौटाई जाएगी। करोड़ों रुपये मूल्य की इस ऐतिहासिक मूर्ति को लंदन से भारत वापस लाने की तैयारी हो रही है।तमिलनाडु आइडल विंग सीआईडी ने पुष्टि की है कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अशमोलियन संग्रहालय ने मूर्ति को वापस करने पर सहमति जताई है। यह मूर्ति 1967 में संग्रहालय द्वारा अधिग्रहित की गई थी। विस्तृत जांच और मूर्ति की उत्पत्ति के ठोस प्रमाणों के आधार पर संग्रहालय ने इसे लौटाने का निर्णय लिया है।

तिरुमंगई अलवार की यह मूर्ति मंदिर से कई दशक पहले चोरी हो गई थी। इसके बाद यह कैसे लंदन पहुंची, इस पर लंबे समय तक सवाल उठते रहे। तमिलनाडु आइडल विंग ने इस मामले में गहन जांच की और प्रमाण जुटाए कि यह मूर्ति साउंडरराजा पेरुमल मंदिर से चुराई गई थी।तमिलनाडु आइडल विंग सीआईडी ने भारतीय मूर्तियों और ऐतिहासिक धरोहरों को वापस लाने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। इस मामले में उनकी सफलता न केवल एक मूर्ति की वापसी है, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

तिरुमंगई अलवार दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संत-कवि और वैष्णव परंपरा के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व माने जाते हैं। उनकी कांस्य मूर्ति न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी अद्वितीय है। मूर्ति का मंदिर में पुनः स्थापित होना स्थानीय समुदाय के लिए गर्व का क्षण होगा।इस मूर्ति की वापसी न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है। यह भारत की सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा और उनके पुनर्स्थापन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।तमिलनाडु सरकार और आइडल विंग मूर्ति को लंदन से भारत लाने और साउंडरराजा पेरुमल मंदिर में फिर से स्थापित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इस प्रक्रिया को पूरा होने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन इसके लिए आवश्यक सभी कदम उठाए जा रहे हैं।

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