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प्रियंक खड़गे का बड़ा बयान: “संविधान के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं, ज़रूरत पड़ी तो पूरी ताकत से लड़ेंगे”

 

कांग्रेस नेता और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियंक खड़गे ने भारतीय संविधान से ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ जैसे महत्वपूर्ण शब्दों को हटाने की मांग पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। यह बयान उन्होंने उस समय दिया जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े विचारक आर माधव ने सुझाव दिया कि इन दोनों शब्दों को संविधान की प्रस्तावना से हटाने पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि ये आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे। प्रियंक खड़गे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सिर्फ शब्दों की बात नहीं, बल्कि संविधान की आत्मा पर हमला है। उन्होंने कहा, “जो लोग संविधान बदलना चाहते हैं, उन्हें हम खुलकर चुनौती देते हैं। अगर ज़रूरत पड़ी, तो हम पूरी ताकत से, हर स्तर पर इसका विरोध करेंगे।”

उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस का इतिहास संविधान विरोधी रहा है और यह वही संगठन है जिसने संविधान को जलाने की घटना को अंजाम दिया था। खड़गे ने यह भी कहा कि आरएसएस मनुस्मृति को संविधान का विकल्प बनाना चाहता था, जो समानता और अधिकारों के खिलाफ है। कांग्रेस नेता ने यह भी दोहराया कि अगर उनकी पार्टी केंद्र की सत्ता में वापस आती है, तो वह आरएसएस पर फिर से प्रतिबंध लगाने पर गंभीरता से विचार करेगी। उन्होंने बताया कि पहले भी आरएसएस पर दो बार प्रतिबंध लग चुका है, लेकिन उसे हटाना एक बड़ी भूल थी।

प्रियंक खड़गे का कहना है कि ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ केवल शब्द नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक पहचान के मूल स्तंभ हैं। यही शब्द सभी नागरिकों को समान अधिकार और गरिमा प्रदान करते हैं।उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस संविधान की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और संविधान में निहित मूल्यों जैसे स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व की भावना को कमजोर नहीं होने देगी।

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