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लैबूबू डॉल: कल्पना से वैश्विक क्रेज़ तक

ब्लाइंड बॉक्स: खरीदने का मज़ा और कलेक्शन का नशा

लैबूबू डॉल (Labubu Doll) की कहानी किसी आम खिलौने की तरह नहीं बल्कि एक कलाकार की कल्पना और ग्लोबल पॉप कल्चर के मिलन की मिसाल है।इसका जन्म हांगकांग के मशहूर कलाकार कासिंग लंग  की रचनात्मक सोच में हुआ। उसने अपनी बच्चों की किताब “The Monsters” (2015) में पहली बार लैबूबू नाम के एक विचित्र, प्यारे और अलग दिखने वाले किरदार को पेश किया। लैबूबू के बड़े-बड़े कान, गोल-मटोल आंखें, झबरे बाल और मासूम लेकिन कभी-कभी शरारती मुस्कान ने इसे किताब से बाहर निकाला और एक ख़ास पहचान दिला दी।

2019 में चीन की डिज़ाइनर टॉय कंपनी Pop Mart ने लैबूबू को “ब्लाइंड बॉक्स” के फॉरमैट में बाजार में उतारा। इस फॉरमैट में, कोई भी खरीदार यह नहीं जानता कि उसे डिब्बे के अंदर कौन सा लैबूबू वेरिएंट मिलेगा यही जिज्ञासा, रोमांच और ‘सरप्राइज’ का तड़का इस ट्रेंड को लगातार आगे बढ़ाता चला गया।

लैबूबू सिर्फ एक गुड़िया नहीं रही, बल्कि एक पॉप कल्चर फेनोमिना बन गई। कभी बच्चों की किताब का किरदार, तो अब युवाओं, कलेक्टर्स, सेलिब्रिटीज़ और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की पसंदीदा चीज़ बन चुकी है। हर देश में लैबूबू की तस्वीरें, अनबॉक्सिंग वीडियो, रील्स, और उसकी खास रेर वेरिएंट्स लेकर ढेरों चर्चा होती है। कई बार किसी एक कलेक्टिबल की कीमत लाखों रुपये तक जा पहुँचती है।

दुनिया भर में लैबूबू के दीवाने आज इसे सिर्फ एक खिलौने की तरह नहीं, बल्कि अपनी व्यक्तिगत शैली, याद, मूड और सोशल कनेक्शन की निशानी मानते हैं। कासिंग लंग की कल्पना के उस छोटे से मॉन्स्टर ने वैश्विक क्रेज़ के रूप में पलक झपकते ही पूरी दुनिया के दिलों में घर बना लिया।

भारत में जो बेसिक लैबूबू मिलता है, वह एक हजार से दो हजार रुपए तक का हो सकता है। लिमिटेड या खास वेरिएंट्स की कीमत पाँच हजार से लेकर एक लाख तक जा सकती है, और इंटरनेशनल कलेक्टर मार्केट में ये कीमतें कई बार एक करोड़ से भी ऊपर बोली जा चुकी हैं। और तो और, एक लाइफ-साइज़ लैबूबू तो बीजिंग की नीलामी में 1.2 करोड़ रुपये में बिक चुका है!

लैबूबू का चेहरा पहली नजर में थोड़ा अनोखा, शरारती और क्यूट लगता है। न स्टाइलिश, न परंपरागत बल्कि कुछ ऐसा जो देखने पर याद रह जाए। उसकी छोटी आंखें, खुराफाती मुस्कान, यह सब कुछ आउट-ऑफ-द-बॉक्स है।

आज की पीढ़ी को जो चीज़ सोशल मीडिया पर दिखती है, वह ही असली ट्रेंड बनती है। अनन्या पांडे, रिहाना, ब्लैकपिंक की लिसा जैसे सुपरस्टार्स जब अपने बैग पर लैबूबू चार्म्स लगाकर निकलते हैं, तो लाखों फैंस भी वैसा ही करना चाहते हैं। लैबूबू यूज़र्स अपने बैग, कार, की-रिंग, ऑफिस डेस्क और यहां तक कि कपड़ों पर इसे सजाकर “कूल” फील करते हैं।

Pop Mart ने लैबूबू को सिर्फ खिलौना रहने नहीं दिया इसके लिमिटेड एडिशन, नए-नए थीम, और सोशल मीडिया कैंपेन के साथ पूरे ग्लोब को इसका दीवाना बना दिया है। तरह-तरह के लैबूबू वर्जन; किचन थीम, सुपरहीरो थीम, मॉन्स्टर थीम या एनिमल थीम हर कोई अपना पसंदीदा ढूंढ लेता है। ये हर उम्र, हर रुचि के कलेक्टर की पसंद बन चुका है।

किसी भी ब्लाइंड बॉक्स खरीदने में “कमी” और “सरप्राइज” सबसे बड़ा मोटिवेशन है यानी सबको लगता है कि अगली बार शायद सबसे खास लैबूबू हाथ लग जाए। सोशल मीडिया में जब कोई रेयर एडिशन मिलना छूट जाता है, तो ‘FOMO’ यानी ‘मिस ना हो जाए…’ का डर बार-बार वापस खींच लाता है।

और जब कलेक्टर किसी रेयर लैबूबू को हासिल करता है, तो उसका गर्व और सोशल स्टेटस तक बढ़ जाता है। यही वजह है कि ये डॉल्स महंगी होने के बावजूद स्टेटस सिंबल बन गई हैं।

भारत समेत दुनिया के कई देशों में एक बेसिक लैबूबू 1500-2500 के आसपास मिल सकती है, पर जैसे-जैसे नए लिमिटेड एडिशन या कलेक्टर्स वर्ज़न आते हैं, कीमतें 10-50 हजार या इससे ज्यादा तक भी निकल जाती हैं। जरा सोचिए, बीजिंग ऑक्शन में Mint Green Labubu का लाइफ साइज वर्ज़न 1.2 करोड़ की बोली में बिका। इसके सा‍थ ही बाजार में नकली लैबूबू भी गहरे रंग जमा रही हैं, जिन्हें ‘लाफूफ’ के नाम से मजाक में सोशल मीडिया पर लोग चिढ़ाते हैं।

लैबूबू का ट्रेंड अब पूरी तरह से देसी रंग में रंग गया है। कोई इसे साड़ी पहनाता है और “लैबूबू भाभी” बना देता है, तो कहीं छात्रों की भीड़ कॉलेज फेस्ट में इसे “लकी चार्म” या “मूड अपलिफ्टर” की तरह इस्तेमाल करती है। इंस्टाग्राम पर #LabubuIndia जैसे हैशटैग तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं और अब देश में हर गिफ्ट शॉप, मोबाइल स्टोर, बुटीक में लैबूबू के एक कोने की मांग है।

कुछ जगहों पर लैबूबू के लिए दुकानदारों और ग्राहकों के बीच झगड़े तक हो चुके हैं, जैसे ब्रिटेन में भारी भीड़ की वजह से दुकानों ने सेल रोक दी गई। कई बार अभिभावकों को बच्चों के महंगे खिलौनों के शौक से दिक्कत होती है। साथ ही, बच्चों की पॉकेट मनी जल्दी खत्म हो जाना या ‘सबके पास है मेरे पास क्यों नहीं’ वाली रुचि सामाजिक चिंता भी बन गई है।

इस क्रेज़ के पीछे सबसे बड़ा नाम है कासिंग लंग, जिनकी कल्पनाशीलता ने 2015 में इसे जन्म दिया। लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड और सुपर-हिट कलेक्शन बनाने का श्रेय जाता है Wang Ning को, जो Pop Mart कंपनी के सीईओ हैं। उनकी मार्केट समझ और ब्लाइंड बॉक्स बिज़नेस मॉडल ने लैबूबू को इंडस्ट्री की नई पहचान दी है।

आज अनन्या पांडे, शरवरी, और कई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर इस डॉल को अपना स्टाइल स्टेटमेंट बना चुके हैं। विदेशों में रिहाना, ब्लैकपिंक की लिसा और दुनिया के तमाम फैशनिस्टाज जहां भी जाती हैं, लैबूबू साथ लिए फिरती हैं। और ऐसी पॉपुलैरिटी खुद-ब-खुद नए ट्रेंड बना देती है।

हर नए ट्रेंड की तरह लैबूबू का भी एक चढ़ाव और ढलाव आएगा, लेकिन इसके यूनिक डिजाइन, सरप्राइज, रेयरिटी, और भावनात्मक कनेक्शन के चलते यह सिर्फ खिलौना नहीं रह गया है। यह याद, स्टेटस, और ‘कुछ अलग’ होने का एहसास बन गया है। लैबूबू डॉल ने हम सबको एक प्यारा, अनोखा आइना दिखा दिया है। इतनी तेज़ दुनिया में, हम बस किसी छोटी, जिज्ञासु सी उत्सुकता, खुशी, और क्यूटनेस के बहाने ‘कुछ अलग’ बनना चाहते हैं।

कभी सजावट, कभी गिफ्ट, कभी स्टेटस सिंबल लैबूबू का हर रूप अपने-आप में अलग है। इसका जन्म कला और कल्पना से हुआ, लेकिन इसका जादू फैशन, सोशल मीडिया और दिलों की गहराई तक जा पहुंचा।

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