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भारतीय लोक और जनजातीय कला पर प्रदर्शनी 16 से 19 सितंबर तक

ऑनलाइन शिक्षण मंच ‘रूफटॉप’ 16 से 19 सितंबर तक देश भर के लोक और आदिवासी कला रूपों की एक प्रदर्शनी ‘इंडियार्ट’ पेश करेगा। यह कलमकार गैलरी, बीकानेर हाउस, राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित किया जा रहा है। इसमें लाइव आर्ट वर्कशॉप और पेशेवर रूप से तैयार किए गए कला पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है।

प्रदर्शनी में नौ भारतीय कला रूपों और लगभग 30 मास्टर कलाकारों की भागीदारी होगी।

यह ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की पहली प्रदर्शनी है जो भारत के समृद्ध सांस्कृतिक परिदृश्य का जश्न मनाएगी। इसमें वारली कला की सरल सुंदरता से होकर ‘माता नी पचेड़ी’ की भक्ति कला को प्रदर्शित किया जायेगा। इसमें भीलों और गोंडों की कला, मधुबनी पेंटिंग और तेलंगाना के चेरियाल स्क्रॉल का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

इनमें से प्रत्येक कला रूप पौराणिक विषयों और कहानी कहने और पूजा करने के अनूठे तरीकों की खोज करता है।

कला रूपों और कलाकारों में भील के लिए भूरी बाई और लाडो बाई, गोंड के लिए वेंकट सिंह श्याम; चेरियाल के लिए डी. वेंकट रमण और मल्लेशराम पौसा; मधुबनी पेंटिंग के लिए अंबिका देवी, अवधेश कुमार कर्ण, दुलारी देवी और हेमा देवी; माता नी पचेड़ी के लिए किरण चितारा, चंद्रकांत चितारा, किरीट चितारा और सतीश चितारा; फड़ के लिए अभिषेक जोशी और कल्याण जोशी; पिछवाई के लिए राजाराम शर्मा; वारली के लिए प्रवीण म्हासे, अनिल वांगड और विजय म्हासे शामिल हैं।

राजस्थान की लघु चित्रकला में जयपुर स्कूल से शम्मी बन्नू और आशाराम मेघवाल, जोधपुर स्कूल से संपतराज बोचिया, देवगढ़ स्कूल से वीरेंद्र बन्नू, किशनगढ़ स्कूल से कुशननारायण जांगिड़, मेवाड़ स्कूल से भंवर लाल कुमावत, महावीर जैसे सात अलग-अलग लघु विद्यालयों की भागीदारी होगी।

रूफटॉप ऐप के संस्थापक और सीईओ कार्तिक गग्गर कहते हैं, “इंडियार्ट विभिन्न लोक और आदिवासी कलाओं को एक मंच पर प्रदर्शित करने का हमारा प्रयास है। इस प्रदर्शनी के साथ, हम न केवल इस विषय पर जागरूकता पैदा करना चाहते हैं बल्कि हमारे देश के सांस्कृतिक एकीकरण की जीवंतता भी प्रस्तुत करना चाहते हैं।” 

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